मात पिता गुरूवर के,
सभी कर्जदार है,
सारा संसार है,
आज भी है और,
कल भी रहेगा।।
तर्ज – सौ साल पहले।
देखे – मात पिता और गुरु चरणों में।
जब जनम लिया नहीं हमने,
तो कई देव मनाए है,
जब जनम लिया है हमने,
चमन के फुल खिलाए है,
पंडित ने देखा पकड़ा,
नाम संस्कार है,
नाम संस्कार है,
आज भी है और,
कल भी रहेगा।।
कुछ बड़े हुए हम तो,
पाठशाला में बिठाया है,
रुखी सूखी खाकर,
हमे गुणवान बनाया है,
इनका हमारे उपर,
बड़ा उपकार है,
बड़ा उपकार है,
आज भी है और,
कल भी रहेगा।।
जो चाहे वो ले लो,
जगत में सबकुछ मिलता है,
मर जाएंगे तो भी,
नही पितु मात मिलता है,
उनकी दुआएं कोई,
बड़ा वरदान है,
बड़ा वरदान है,
आज भी है और,
कल भी रहेगा।।
इन मातपिता गुरूवर के,
हरदम गुण को गाना है,
एक जनम मरण की ये,
लख चौरसी मिटाना है,
बजरंग मंडल कहता,
कहता हर बार है,
कहता हर बार है,
आज भी है और,
कल भी रहेगा।।
मात पिता गुरूवर के,
सभी कर्जदार है,
सारा संसार है,
आज भी है और,
कल भी रहेगा।।
गायक – गोपाल गर्ग सावा चित्तोड़।
प्रेषक – उदय लाल गायरी बोरखेड़ीतालाब।