आ मदद चढण री टेम,
गयी कठै बाई,
गयी कठै बाई,
थारा टाबर कलपै आज,
बिसर मत ज्याई।।
आ भारत भू पर वात,
विपद री छाई,
विपद री छाई,
ओ थांनै क्यां में लागी देर,
मात मेहाई,
आ मदद चढ़ण री टेम,
गयी कठै बाई,
गयी कठै बाई,
थारा टाबर कलपै आज,
बिसर मत ज्याई।।
मां बंद कियां क्यूं द्वार,
देख विपदाई,
देख विपदाई,
थारा कठै गया भुजबीस,
देवल की जाई,
आ मदद चढ़ण री टेम,
गयी कठै बाई,
गयी कठै बाई,
थारा टाबर कलपै आज,
बिसर मत ज्याई।।
मां कांयी सुखभर नींद,
सोयग्या माई,
सोयग्या माई,
ओ कोरोना रो काल,
डसै जग मांही,
आ मदद चढ़ण री टेम,
गयी कठै बाई,
गयी कठै बाई,
थारा टाबर कलपै आज,
बिसर मत ज्याई।।
मां थे देवां का देव,
करो करुणाई,
करो करूणाई,
जग रो रो टेरै आज,
लेवो शरणाई,
आ मदद चढ़ण री टेम,
गयी कठै बाई,
गयी कठै बाई,
थारा टाबर कलपै आज,
बिसर मत ज्याई।।
अब आणों पड़सी आज,
सगत सुरराई,
सगत सुरराई,
प्रांजल री राखो बात,
कृपा कर आई,
आ मदद चढ़ण री टेम,
गयी कठै बाई,
गयी कठै बाई,
थारा टाबर कलपै आज,
बिसर मत ज्याई।।
आ मदद चढण री टेम,
गयी कठै बाई,
गयी कठै बाई,
थारा टाबर कलपै आज,
बिसर मत ज्याई।।
लेखक / प्रेषक – प्रहलाद सिंह कविया प्रांजल।
गायक – रामअवतार जी।