महावीर है महाबली है,
महाभक्त हनुमान मेरे।
दोहा – लाल देह लाली लसे,
अरुधरी लाल लंगूर,
बज्र देह दानव दलन,
जय जय जय कपिसूर।
महावीर है महाबली है,
महाभक्त हनुमान मेरे,
नित राम भजन में,
राम लगन में,
सेवारत हनुमान मेरे,
महाज्ञानी है महादानी है,
महासंत हनुमान मेरे,
मंगल को जन्मे मंगल जग में,
सदा करत हनुमान मेरे,
सियावर राम चंद्र की जय,
उमापति महादेव की जय,
बोलो बजरंगबली की जय,
राम के परम भक्त की जय।।
हरिहर की है लीला हनुमत,
अखंड सनातन धर्म प्रसारक,
हरी जपते नित हर हर शम्भू,
शम्भू भी श्री राम उपासक,
राम राम श्री राम उपासक,
शंकर सुवन रुद्र बारहवे,
रामदूत हनुमान मेरे,
नित राम भजन में,
राम लगन मे,
सेवारत हनुमान मेरे।।
छोड़ चले जब धरा को रघुवर,
कपि ने जग का भार लिया,
भेद जान सिंदूर का,
सिंदूर में चोला सान लिया,
भक्ति को सम्मान दिया,
चीर के सीना सियाराम को,
दर्शावत हनुमान मेरे,
नित राम भजन में,
राम लगन मे,
सेवारत हनुमान मेरे।।
महावीर हैं महाबली हैं,
महाभक्त हनुमान मेरे,
नित राम भजन में,
राम लगन में,
सेवारत हनुमान मेरे,
महाज्ञानी है महादानी है,
महासंत हनुमान मेरे,
मंगल को जन्मे मंगल जग में,
सदा करत हनुमान मेरे,
सियावर राम चंद्र की जय,
उमापति महादेव की जय,
बोलो बजरंगबली की जय,
राम के परम भक्त की जय।।
स्वर – उदय लकी सोनी।
लेखक – कामेश्वर सिंह ठाकुर।