महिमा अपरम्पार आपरी,
लीला अपरम्पार,
म्हारी आई माताजी हो,
आपरी महिमा अपरम्पार,
म्हारी आई माताजी हो,
आपरी महिमा अपरम्पार।।
विक्रम संवत् १४७२,
भादवी बीज दिन आया,
वार ने शनिवार रे दिन माँ,
अम्बापुर प्रगटाया,
खुशीयां छाई भीकाजी घर,
मन ही मन हर्षाया,
मन ही मन हर्षाया माताजी,
मन ही मन हर्षाया,
मन ही मन हर्षाया आईजी,
मन ही मन हर्षाया,
कुंकुम पगल्या मांड्या घर में,
कुंकुम पगल्या मांड्या घर में,
सखीया मंगल गाया,
म्हारी आई माताजी हो,
आपरी महिमा अपरम्पार।।
बालपना मे परचा दीना,
चमत्कार दिखलाया,
आंधा ने माँ साजा करती,
पांगलीया ने पगा चलाया,
छुआछूत रो भेद मिटाया,
सबरी सहाय कराया,
सबरी सहाय कराया मैया जी,
सबरी सहाय कराया,
सबरी सहाय कराया आईजी,
सबरी सहाय कराया,
भोला भगता री विनती सुनने,
भोला भगता री विनती सुनने,
भवसु पार लगाया,
म्हारी आई माताजी हो,
आपरी महिमा अपरम्पार।।
संवत् १५६१ में,
चैत्र बीज दिन आया,
अंतरध्यान थे होया आईजी,
ज्योति मे आप समाया,
ज्योति माई केसर बरसे,
पार न कोई पायो,
पार न कोई पायो आईजी,
पार न कोई पायो,
पार न कोई पायो आईजी,
पार न कोई पायो,
ज्योति मे माँ दर्शन देवो हो ओ,
ज्योति मे माँ दर्शन देवो,
बेडा पार लगावो,
म्हारी आई माताजी हो,
आपरी महिमा अपरम्पार।।
वर्तमान में आई पंथ ने,
माधव सिंह सा चलावे,
लक्ष्मण सिंह जी चरने राखो,
थोरे द्वारे आवे,
बाबा मंडली द्वारे आवे,
थाने अरज सुनावे,
थाने अरज सुनावे मैया जी,
थाने अरज सुनावे,
थाने अरज सुनावे आईजी,
थाने अरज सुनावे,
शरणे आया री लाज राखजो हो,
शरणे आया री लाज राखजो,
बेडा पार लगावो,
म्हारी आई माताजी हो,
आपरी महिमा अपरम्पार।।
आई माताजी रा परचा भारी,
ध्यावे नर ओर नारी,
भूल चुक कोई गलती वेतो,
पीड़ हरो भगता री,
पीड़ हरो भगता री आईजी,
पीड़ हरो भगता री,
पीड़ हरो भगता री आईजी,
पीड़ हरो भगता री,
‘मनीष सीरवी’ भजन बनायो ओ माँ,
मनीष सीरवी भजन बनायो,
“महेंद्र सिंह” गुण गायो,
म्हारी आई माताजी हो,
आपरी महिमा अपरम्पार।।
महिमा अपरम्पार आपरी,
लीला अपरम्पार,
म्हारी आई माताजी हो,
आपरी महिमा अपरम्पार,
म्हारी आई माताजी हो,
आपरी महिमा अपरम्पार।।
गायक – महेंद्रसिंह जी राठौर / कविता जी पंवार।
लेखक / प्रेषक – मनीष सीरवी।
(रायपुर जिला पाली राजस्थान)
9640557818