महीमा सांवरिया की भारी जी,
गुर्जर की गाया का खातिर,
बन गया डाणी वो।।
लखमो गुर्जर गाया लेकर,
वन का माई जावे,
गाया चर रही वन का माही,
हरि से ध्यान लगावे,
वेतो लिन भजन में हो गया वो,
गुर्जर की गाया का खातिर,
बन गया डाणी वो।।
अतरा माई मीणा चोरड़ा,
फिरता फिरता आवे,
गोरी गोरी गाया चर रही
वाको मन ललचावे,
वेतो गाया लेग्या सारी वो,
गुर्जर की गाया का खातिर,
बन गया डाणी वो।।
लखमो गुर्जर उठ कर देखे,
गाया नजर नहीं आवे,
गाया बिना सुनो ग्वालों,
भूखा ही मर जावे,
वो तो आसुंडा ढलकावे जी,
गुर्जर की गाया का खातिर,
बन गया डाणी वो।।
दूध बिना सांवरिया थारे,
कीके भोग लगावु,
गाया बिना सुनो वेग्यो,
आसुंडा ढल कावू,
मारो हियो भर भर आवे वो,
गुर्जर की गाया का खातिर,
बन गया डाणी वो।।
अतरा माई सांवरिया के,
काना आवाज़ पुंगी,
घाटे चढ़ती गाया फेरी,
डाणी रूप बनायो,
वेतो गाया लाया सारी वो,
गुर्जर की गाया का खातिर,
बन गया डाणी वो।।
सांवरिया की महिमा ने,
संत गाई जोड़,
चरना माई शीश नमावु,
जोडू दोनों हाथ जी,
माने चरणा में रख लीजो वो,
गुर्जर की गाया का खातिर,
बन गया डाणी वो।।
महीमा सांवरिया की भारी जी,
गुर्जर की गाया का खातिर,
बन गया डाणी वो।।
स्वर – विजय सिंह चित्तौड़गढ।
Mob. 7425927673
प्रस्तुति – महाकाल_लाइव।