मैं आरती तेरी गाऊं,
ओ अम्बे मात भवानी,
मैं नित नित शीश नवाऊं,
ओ दुर्गे माँ महारानी।।
तर्ज – मैं आरती तेरी गाउँ ओ केशव।
है तेरा रूप निराला,
सच मुच में भोला भाला,
तुझसा ना प्यारा कोई,
ओ शेर सवारी वाली,
मैं आरती तेरी गाऊ,
ओ अम्बे मात भवानी।।
जो आये शरण तिहारी,
विपदा मिट जाए सारी,
हम सब पर कृपा करना,
ओ भक्तो की प्राण पियारी,
मैं आरती तेरी गाऊ,
ओ अम्बे मात भवानी।।
तूने शुम्भ निशुम्भ को मारा,
तूने चंड मुण्ड संहारा,
तूने देवो के प्राण बचाये,
ओ सृष्टि आधार भवानी,
मैं आरती तेरी गाऊ,
ओ अम्बे मात भवानी।।
जो गाएं आरती तुम्हारी,
तर जाए नर और नारी,
हम आये शरण तिहारी,
ओ अष्ट भुजाओ वाली,
मैं आरती तेरी गाऊ,
ओ अम्बे मात भवानी।।
मैं आरती तेरी गाऊं,
ओ अम्बे मात भवानी,
मैं नित नित शीश नवाऊं,
ओ दुर्गे माँ महारानी।।
– प्रेषक –
दुर्गेश शर्मा
9165284418
* वीडियो उपलब्ध नहीं।