मैं दुखिया नीर बहाता,
तू बैठा मौज उड़ाता,
कुछ तो सोच विचार रहम कर,
कुछ तो सोच विचार रहम कर,
दीनानाथ कुहाता कुहाता,
मैं दुखिया निर बहाता,
तू बैठा मौज उड़ाता।।
ध्रुव प्रहलाद सुदामा जैसी,
धीर कहाँ से लाऊँ,
प्राणी हूँ कलिकाल का भगवन,
हर पल धीर गवाऊं,
जैसा भी पर सेवक तेरा,
जैसा भी पर सेवक तेरा,
काहे इसे लजाता लजाता,
मैं दुखिया निर बहाता,
तू बैठा मौज उड़ाता।।
कष्ट अनेकों सहता गया मैं,
लेकर नाम तुम्हारा,
भूल गए क्यों नाथ पूछते,
कभी तो हाल हमारा,
दुखियों के हो सखा टूट गया,
दुखियों के हो सखा टूट गया,
क्या मुझसे ही नाता जी नाता,
मैं दुखिया निर बहाता,
तू बैठा मौज उड़ाता।।
आना हो तो आ बेदर्दी,
अब तो सहा ना जाए,
तेरे रहते कष्ट सताए,
कैसी साख निभाए,
फिर ना कहना नहीं पुकारा,
फिर ना कहना नहीं पुकारा,
कैसे कष्ट मिटाता ओ मिटाता,
मैं दुखिया निर बहाता,
तू बैठा मौज उड़ाता।।
जो गति होगी नाथ सहूँगा,
और भला क्या चारा,
तेरे बस में हम पर तुझ पर,
चले ना जोर हमारा,
‘नंदू’ सहले श्याम सुमरले,
‘नंदू’ सहले श्याम सुमरले,
मनवा धीर बंधाता बंधाता,
Bhajan Diary,
मैं दुखिया निर बहाता,
तू बैठा मौज उड़ाता।।
मैं दुखिया नीर बहाता,
तू बैठा मौज उड़ाता,
कुछ तो सोच विचार रहम कर,
कुछ तो सोच विचार रहम कर,
दीनानाथ कुहाता कुहाता,
मैं दुखिया निर बहाता,
तू बैठा मौज उड़ाता।।
स्वर – संजय मित्तल जी।
लेखनी – नंदू जी शर्मा।
Bhut acha hai bhjan
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