मैं हक़ से कहती हूँ श्याम हमारा है,
मुझे पग पग पे वो देता सहारा है,
जब जब मैंने इसका नाम लिया,
उसने आके पल में थाम लिया है,
मै हक़ से कहती हूं श्याम हमारा है,
मुझे पग पग पे वो देता सहारा है।।
कहने को तो यूँ सारे ही अपने है,
तेरी वजह से पूरे हुए हर सपने है,
जो कुछ है पास मेरे,
वो सब तो तुम्हारा है,
मुझे पग पग पे वो देता सहारा है,
जब जब मैंने इसका नाम लिया,
उसने आके पल में थाम लिया है,
मै हक़ से कहती हूं श्याम हमारा है,
मुझे पग पग पे वो देता सहारा है।।
हारे हुए को हर कोई बहलाता है,
केवल तू ही उनका साथ निभाता है,
जो थाम लिया तूने ,
कभी ना वो हारा है,
मुझे पग पग पे वो देता सहारा है,
जब जब मैंने इसका नाम लिया,
उसने आके पल में थाम लिया है,
मै हक़ से कहती हूं श्याम हमारा है,
मुझे पग पग पे वो देता सहारा है।।
बाबुल जैसा मुझको तुमसे प्यार मिला,
मुझको समझने वाला कोई हक़दार मिला,
‘श्याम’ कहे ‘गिन्नी’ को,
तूने ही तो सँवारा है
मुझे पग पग पे वो देता सहारा है,
जब जब मैंने इसका नाम लिया,
उसने आके पल में थाम लिया है,
मै हक़ से कहती हूं श्याम हमारा है,
मुझे पग पग पे वो देता सहारा है।।
मैं हक़ से कहती हूँ श्याम हमारा है,
मुझे पग पग पे वो देता सहारा है,
जब जब मैंने इसका नाम लिया,
उसने आके पल में थाम लिया है,
मै हक़ से कहती हूं श्याम हमारा है,
मुझे पग पग पे वो देता सहारा है।।
स्वर – गिन्नी कौर।