मैं के बोलूं मईया री,
तन्नै सब बातां का बैरा स,
पिछली साल घणे तारे,
पर इबके नम्बर मेरा स।।
तुं चहावः त फुटी,
तकदीर समरज्या पल भर में,
तुं चहावः त हाथां की,
लकीर बदलज्या पल भर में,
तुं चहावः त होवे उजाला,
ना त घोर अंधेरा स।।
मेरे अगड़ पड़ोसी सारे,
तन्नै सबका काम बणाया स,
किसे न गाडी लेली,
किसे न महल बणाया स,
यो के हाल बणाया स,
मेरा दो कमरां में डेरा स।।
तुं दोनु हाथ लुटावः,
तेरे घणे खजाने भरे पड़े,
हम रोटी पुरी करते,
ओर कमा कमा क मरे पड़े,
छप्पन करोड़ का बंफर खुलज्या,
इतणा माल भतेरा स।।
मेरा सपना पुरा होगा,
ना छोडी कदे आस मन्नै,
तुं सुणेगी विनती मेरी,
यो पक्का विस्वास मन्नै,
देर सही अंधेर नहीं,
नरसी ने इतणा बैरा स।।
मैं के बोलूं मईया री,
तन्नै सब बातां का बैरा स,
पिछली साल घणे तारे,
पर इबके नम्बर मेरा स।।
गायक – नरेंद्र कौशिक जी।
प्रेषक – राकेश कुमार जी।
खरक जाटान(रोहतक)
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