मैं खाटू में जाऊंगा,
फागण को आने दो,
फागण को आने दो।।
तर्ज – सावन को आने दो।
फागण का मेला होगा,
भक्तो का रेला होगा,
लेके निशान चलेंगे,
मस्त महिना होगा,
मैं घूमर गाऊंगा,
संग ढोल बजाऊंगा,
फागन को आने दो,
फागण को आने दो।।
मन में उमंगें होगी,
बाबा से बाते होगी,
सोचूंगा श्याम मिलेंगे,
खुशियों के फूल खिलेंगे,
मैं दर्शन पाउँगा,
मैं भोग लगाऊंगा,
और चवर ढुलाऊँगा,
फागन को आने दो,
फागण को आने दो।।
खाटू नगरिया सजेगी,
दुल्हन सी भक्तो लगेगी,
सजधज के श्याम मिलेंगे,
बाते मन की करेंगे,
मैं धूम मचाऊंगा,
नाचूंगा गाऊंगा,
फागन को आने दो,
फागण को आने दो।।
खाटू की हर एक गलियां,
जयकारों से गूंजेगी,
सेवा करेंगे सब मिलके,
दिवाली खूब मनेगी,
‘राहुल’ भी आएगा,
वो भजन सुनाएगा,
और ठुमका लगाएगा,
फागन को आने दो,
फागण को आने दो।।
मैं खाटू में जाऊंगा,
फागण को आने दो,
फागण को आने दो।।