मैं नाकोडा जी जाऊँगा,
ले के सारा परिवार,
मैं दर्शन पाऊँगा,
पारस जी भेरू जी के,
भजन मैं कराऊँगा,
मेवानगरी के पल को,
भुल न पाऊँगा,
मैं भूल उसे न पाऊँगा।।
तर्ज – मोहब्बतें लुटाऊँगा।
दादा का बुलावा आया,
नाकोडा जी जाना है,
वादा किया जो हमने,
आज वो निभाना है,
मौका मिला है हमको,
व्यर्थ न गंवाना है,
जाके दरबार में हमको,
हाजरी लगाना,
फर्ज मैं निभाउंगा,
मेवानगरी के पल को,
भुल न पाऊँगा,
मैं भूल उसे न पाऊँगा।।
नैनो से निहारूँगा मैं,
मेरे सरकार को,
फूलो से सजाऊँगा मैं,
सारे दरबार को,
भोग लगाऊँगा मैं,
छप्पन प्रकार के,
भक्ति करेंगे हम,
तन मन वार,
मैं सबको नचाऊँगा,
मेवानगरी के पल को,
भुल न पाऊँगा,
मैं भूल उसे न पाऊँगा।।
दादा से मेरी जब,
मुलाकात होगी,
सुख दुख की वो,
सारी बात होगी,
जब वो कृपा की,
बरसात होगी,
“दिलबर” निराली वो,
सौगात होगी,
किशन कहे गाऊँगा,
मैं छेड़ के मन का साज,
प्रभु गुण गाऊँगा,
मेवानगरी के पल को,
भुल न पाऊँगा,
मैं भूल उसे न पाऊँगा।।
मैं नाकोडा जी जाऊँगा,
ले के सारा परिवार,
मैं दर्शन पाऊँगा,
पारस जी भेरू जी के,
भजन मैं कराऊँगा,
मेवानगरी के पल को,
भुल न पाऊँगा,
मैं भूल उसे न पाऊँगा।।
गायक – किशन गोयल बालोतरा।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365