मैं सेवक हूँ श्रीराम का,
हनुमान नाम है मेरा।।
मेघनाथ ने शक्ति मारी,
मुर्छित हुआ लखन बलकारी,
व्याकुल हो गयी सेना हमारी,
होश उड़िया बलवान का,
दिल कांप रहा है मेरा।।
मैं बुटी लेने आया,
मिली नही जद पहाड़ उठाया,
सुर समझ कर तीर चलाया,
दर्शन होते भान के,
हो जासी अभी अंधेरा।।
टूट्या र चलियो ना जावे,
इस पर्वत को कोंन पहुँचावे,
दिल में यही फिक्र सतावे,
काम बणिया नुकशान का,
हो जासी अभी सवेरा।।
यही लिखा था लेख हमारा,
इतना ही लक्ष्मण का नाता,
हरनारायण हरि गुण गाता,
भजन करो भगवान का,
भगवान आसरा तेरा।।
मैं सेवक हूँ श्रीराम का,
हनुमान नाम है मेरा।।
गायक / प्रेषक – श्यामनिवास जी।
919024989481