मैं तेरे शहर से कल,
चला जाऊंगा,
फिर कभी लौट कर,
ना आऊंगा,
फिर कभी लौट कर,
ना आऊंगा,
मै तेरे शहर से कल,
चला जाऊंगा।।
जख्म खाए है,
चाहते गुल में,
जख्म खाए है,
चाहते गुल में,
याद कांटो की.
भुला ना पाऊंगा,
फिर कभी लौट कर,
ना आऊंगा,
मै तेरे शहर से कल,
चला जाऊंगा।।
मुझको देखेगी,
रोज ख्वाबों में,
मुझको देखेगी,
रोज ख्वाबों में,
मैं खयालों में भी,
तेरे आऊंगा,
फिर कभी लौट कर,
ना आऊंगा,
मै तेरे शहर से कल,
चला जाऊंगा।।
हंस तो पाएंगे नहीं,
हम भी मगर,
हंस तो पाएंगे नहीं,
हम भी मगर,
हां तुझे भी,
बहुत रुलाऊंगा,
फिर कभी लौट कर,
ना आऊंगा,
मै तेरे शहर से कल,
चला जाऊंगा।।
हम से पूछेंगे,
कभी तो ये ‘रफीक’,
हम से पूछेंगे,
कभी तो ये ‘रफीक’,
तेरे बारे में,
क्या बताऊंगा,
फिर कभी लौट कर,
ना आऊंगा,
मै तेरे शहर से कल,
चला जाऊंगा।।
मैं तेरे शहर से कल,
चला जाऊंगा,
फिर कभी लौट कर,
ना आऊंगा,
फिर कभी लौट कर,
ना आऊंगा,
मै तेरे शहर से कल,
चला जाऊंगा।।
गायक – राजकुमार जी स्वामी।
लेखक – रफीक राजस्थानी।
प्रेषक – बजरंग सिंह कच्छावा।
बीकानेर 9928157513