मैं तो हूँ तंग मईया,
तेरे नन्दलाल से,
ले जाता मटकी में से,
माखन निकाल के,
ले जाता मटकी में से,
माखन निकाल के,
मै तो हूं तंग मईया,
तेरे नन्दलाल से।।
तर्ज – ये गोटेदार लहंगा।
बड़ो ही खोटो है कन्हैया,
माखन रोज चुरावे,
माखन रोज चुरावे,
पीछे पीछे आ जावे जब,
पनिया भरने जावे,
पनिया भरने जावे,
मारे गागर में मोहन,
कंकर उछाल के,
ले जाता मटकी में से,
माखन निकाल के,
मै तो हूं तंग मईया,
तेरे नन्दलाल से।।
दोष लगावे ग्वालिन,
तेरे ये लाल पे,
दोष लगावे ग्वालिन,
तेरे ये लाल पे,
रखती नही है काहे,
माखन संभाल के।।
बड़ी ही झूठी है गुजरिया,
झूठो दोष लगावे,
झूठो दोष लगावे,
बार बार मेरी करे शिकायत,
मईया से पिटवावे,
घर में राड करावे आवे,
माखन लपेट जाती,
ये मेरे गाल पे,
माखन लपेट जाती,
ये मेरे गाल पे,
रखती नही है काये,
माखन समाल के,
ले जाता मटकी में से,
माखन निकाल के,
मै तो हूं तंग मईया,
तेरे नन्दलाल से।।
मैं तो हूँ तंग मईया,
तेरे नन्दलाल से,
ले जाता मटकी में से,
माखन निकाल के,
ले जाता मटकी में से,
माखन निकाल के,
मै तो हूं तंग मईया,
तेरे नन्दलाल से।।
स्वर – अंकुल जी शास्त्री।
प्रेषक – रामस्वरूप लववंशी
8107512367