मैं तो कोनी सुख पायो रामा,
थारी भक्ति में,
थारी भक्ति में रामा,
थारी भक्ति में,
मैं तो कोणी सुख पायो रामा,
थारी भक्ति में।।
विप्र सुदामा मित्र तुम्हारे,
मांग मांग अन्न खायो,
मेरे रामा मांग मांग अन्न खायो,
हरिश्चन्द्र सतवादी राजा-२,
वाने तो नीच घर पानी तो भरायो रामा,
थारी भक्ति में,
थारी भक्ति में,
थारी भक्ति में रामा,
थारी भक्ति में,
मैं तो कोणी सुख पायो रामा,
थारी भक्ति में।।
संत रुप धर के प्रभु जी,
मोरध्वज द्वारे आयो,
मेरे रामा मो्रध्वज द्वारे आयो,
ऐक भूखे सिंग के खातिर-२,
रतन कंवर ने राजा रानी सू छुड़ायो रामा,
थारी भक्ति में,
थारी भक्ति में रामा,
थारी भक्ति में,
मैं तो कोणी सुख पायो रामा,
थारी भक्ति में।।
वामन रुप धर के प्रभु जी,
बलि के द्वारे अयो मेरे रामा,
बलि के द्वारे आयो,
तीन पावन्दआ धरती मापी-२,
राजा बलि ने प्रभु जी,
पाताल तो पहुचआयो रामा,
थारी भक्ति में,
थारी भक्ति में रामा,
थारी भक्ति में,
मैं तो कोणी सुख पायो रामा,
थारी भक्ति में।।
तुलसी दास आशा रघुवर की,
हरष हरष गुण गायो,
मेरे रामा हरष हरष गुण गायो,
अपने भक्त को दुख देवु तो-२,
जैसे सोना ने प्रभु जी,
सोनीडो तपायओ रामा,
थारी भक्ति में,
थारी भक्ति में रामा,
थारी भक्ति में,
मैं तो कोणी सुख पायो रामा,
थारी भक्ति में।।
मैं तो कोनी सुख पायो रामा,
थारी भक्ति में,
थारी भक्ति में रामा,
थारी भक्ति में,
मैं तो कोणी सुख पायो रामा,
थारी भक्ति में।।
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Ladu lal kumawat
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