मैं तो ओढ़ ओढ़नी,
श्याम नाम की।
दोहा – ज्यूँ ज्यूँ फागण नीडे आवे,
मन म्हारो हर्षावे,
दर्शन करस्या श्याम धणी का,
याद घणेरी आवे।
मैं तो ओढ़ ओढ़नी,
श्याम नाम की,
नाचण लागि रे,
सांवारिये की प्रीत,
मेरे मन जागण लागि रे,
म्हे तो ओढ़ ओढ़नी,
श्याम नाम की,
नाचण लागि रे,
मैं तो ओढ़ ओढ़नी।।
प्रेम रंग में रंगी ओढ़नी,
मस्ती खूब लटावे रे,
अरे जिसने ओढ़ी,
श्याम ओढ़नी,
किस्मत जागी रे,
म्हे तो ओढ़ ओढ़नी,
श्याम नाम की,
नाचण लागि रे,
मैं तो ओढ़ ओढ़नी।।
मतलब की दुनिया में भाया,
श्याम सहारो साँचो है,
और दूजी या श्याम ओढ़नी,
मन में भागी रे,
म्हे तो ओढ़ ओढ़नी,
श्याम नाम की,
नाचण लागि रे,
मैं तो ओढ़ ओढ़नी।।
मस्ती मिल गई,
भक्ति मिल गई,
मिल गई शक्ति भारी रे,
श्रद्धा और विश्वास जगागी,
प्यार जगागी रे,
म्हे तो ओढ़ ओढ़नी,
श्याम नाम की,
नाचण लागि रे,
मैं तो ओढ़ ओढ़नी।।
श्याम नाम की जपके माला,
ओढ़ी थी मीरा बाई,
श्याम ओढ़नी दुनिया भर में,
धूम मचा गई रे,
म्हे तो ओढ़ ओढ़नी,
श्याम नाम की,
नाचण लागि रे,
मैं तो ओढ़ ओढ़नी।।
चिंता मिटी मीटया सब खटका,
जबसे ‘लक्खा’ ओढ़ी जी,
‘मातृदत्त’ यो श्याम की रक्षक,
बणके आगि रे,
म्हे तो ओढ़ ओढ़नी,
श्याम नाम की,
नाचण लागि रे,
मैं तो ओढ़ ओढ़नी।।
मैं तो ओढ़ ओढ़नी,
श्याम नाम की,
नाचण लागि रे,
संवारिये की प्रीत,
मेरे मन जागण लागि रे,
म्हे तो ओढ़ ओढ़नी,
श्याम नाम की,
नाचण लागि रे,
मैं तो ओढ़ ओढ़नी।।
स्वर – लखबीर सिंह लक्खा जी।