मैं तो रोज रोज थारा ही,
गुण गाऊ खाटू वाले जी।
दोहा – हारे के सहारे आप हो,
मेरे खाटू लखदातार,
सरन में थारे आ गयो,
बाबा रख दो मारी लाज।
मैं तो रोज रोज थारा ही,
गुण गाऊ खाटू वाले जी,
हेलो मारो सामलो जी,
लखदातार जी,
हेलो मारो सामलो जी।।
तीन बाण धारी श्याम,
तीर ना चलाओ,
दिल मेरा बोले श्याम,
जल्दी बुलाओ,
माने पल पल थानी याद,
गणी आवे खाटू वाले जी,
हेलो मारो सामलो जी,
लखदातार जी,
हेलो मारो सामलो जी।।
हारे के सहारो बाबा,
तू ही एक म्हारो,
दुनिया में म्हारो श्याम,
कोई ना सहारो,
ओ थारे सरणा में आयो हु,
दोई कर जोड़ खाटू वाले जी,
हेलो मारो सामलो जी,
लखदातार जी,
हेलो मारो सामलो जी।।
हर ग्यारस ने थारे,
भीड़ भारी लागे,
भगत करे जय कारे,
शीश दानी न्यारे,
बाबा खाटू री नगरी में,
नाम गूंजे लखदातार जी,
हेलो मारो सामलो जी,
लखदातार जी,
हेलो मारो सामलो जी।।
कलयुग में श्याम थांको,
शीश पुजावे,
दिन दुखी आवे द्वार,
सहारों बन जावे,
शीश दानी जग में नाम,
अमर कहावे खाटू वाले जी,
हेलो मारो सामलो जी,
लखदातार जी,
हेलो मारो सामलो जी।।
थारो भजन श्याम,
सबने सुनाऊ,
मन में उठी लगन,
द्वार मैं आउ,
‘धरम’ आपरा सरना में,
गुण गावे खाटू वाले जी,
हेलो मारो सामलो जी,
लखदातार जी,
हेलो मारो सामलो जी।।
मैं तो रोज रोज थाका ही,
गुण गाऊ खाटू वाले जी,
हेलो मारो सामलो जी,
लखदातार जी,
हेलो मारो सामलो जी।।
लेखक / गायक – धर्मेंद्र तंवर।
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