मैं तो तुम संग प्रीत लगा के,
हार गई सजना,
हार गई सजना,
मैं तो तुम संग नैन मिला के,
हार गई सजना,
हार गई सजना।।
तर्ज – मैं तो तुम संग नैन मिला के।
क्यूँ झूठे से प्रीत लगाई,
क्यूँ छलिये को मीत बनाया,
क्यूँ आंधी में दीप जलाया,
मैं तो तुम संग प्रित लगा के,
हार गई सजना,
हार गई सजना।।
सपने में जो बाग़ लगाया,
नींद खुली तो वीराने थे,
हम भी कितने दीवाने थे,
मैं तो तुम संग प्रित लगा के,
हार गई सजना,
हार गई सजना।।
ना मिलतीं ये बैरन अँखियां,
चैन न जाता दिल भी न रोता,
काश किसी से प्यार न होता,
मैं तो तुम संग प्रित लगा के,
हार गई सजना,
हार गई सजना।।
मैं तो तुम संग प्रीत लगा के,
हार गई सजना,
हार गई सजना,
मैं तो तुम संग नैन मिला के,
हार गई सजना,
हार गई सजना।।
गायक – लखन रघुवंशी।
प्रेषक – अभिषेक धाकड़।
7898103674