मैंने झोली फैला दी कन्हैया,
अब खजाना तू प्यार का लुटा दे,
अब खजाना तू प्यार का लुटा दे,
मैंने झोंली फैला दी कन्हैया,
अब खजाना तू प्यार का लुटा दे।।
आया बन के मैं प्रेम पुजारी,
आया बन के मैं दर का भिखारी,
दे दे झोली में इतना दयालु,
दे दे झोली में इतना दयालु,
मांगने की ये आदत छुड़ा दे,
मैंने झोंली फैला दी कन्हैया,
अब खजाना तू प्यार का लुटा दे।।
मुझको इतनी शरम आ रही है,
ना जुबाँ से कही जा रही है,
तूने लाखो की बिगड़ी बनाई,
तूने लाखो की बिगड़ी बनाई,
आज मेरी भी बिगड़ी बना दे,
मैंने झोंली फैला दी कन्हैया,
अब खजाना तू प्यार का लुटा दे।।
ऐसे कब तक चलेगा गुजारा,
थाम ले आके दामन हमारा,
हो सके तो दया कर दयालु,
हो सके तो दया कर दयालु,
अपने चरणों की सेवा में लगा ले,
मैंने झोंली फैला दी कन्हैया,
अब खजाना तू प्यार का लुटा दे।।
आज ‘बनवारी’ दिल रो रहा,
जो कभी ना हुआ हो रहा है,
इक तमन्ना है मरने से पहले,
इक तमन्ना है मरने से पहले,
अपना दर्शन मुझे भी करा दे,
मैंने झोंली फैला दी कन्हैया,
अब खजाना तू प्यार का लुटा दे।।
मैंने झोली फैला दी कन्हैया,
अब खजाना तू प्यार का लुटा दे,
अब खजाना तू प्यार का लुटा दे,
मैंने झोंली फैला दी कन्हैया,
अब खजाना तू प्यार का लुटा दे।।
स्वर – मुकेश बागड़ा जी।