मैंने कुटिया आज सजाई,
आजा आजा कृष्ण कन्हाई,
हो हो हो,,,
मैने कुटिया आज सजाई,
आजा आजा कृष्ण कन्हाई,
तेरे दर्शन की प्यास जगी,
कन्हैया आजा घड़ी दो घड़ी।।
तर्ज – मैंने पायल है छनकाई।
बाबा जो घर तू आए,
तेरी धूली मिल जाए,
बंद किस्मत खुल जाए,
साँवरिया आ,,,
मेरी बिगड़ी बात बना दे,
मुझको एक झलक दिखला दे,
अँखिया रस्ते पे कब से लगी,
कन्हैया आजा घड़ी दो घड़ी।।
मेरे दिलदार साँवरिया,
छोड़ के खाटू नगरिया,
ले ले टाबर की खबरिया,
ओ बाबा आ,,,
आजा रूखा सूखा खाने,
इस निर्धन का मान बढ़ाने,
ना थाली छप्पन भोग से सजी,
कन्हैया आजा घड़ी दो घड़ी।।
गर जो इक बारी आए,
ये दावा जा ना पाए,
प्रेम बँधन बँध जाए,
साँवरिया,,,
सुनले भरोसा तोड़ ना देना,
‘रूबी रिधम’ को छोड़ ना देना,
कहती असुवन की ये झड़ी,
कन्हैया आजा घड़ी दो घड़ी।।
मैंने कुटिया आज सजाई,
आजा आजा कृष्ण कन्हाई,
हो हो हो,,
मैने कुटिया आज सजाई,
आजा आजा कृष्ण कन्हाई,
तेरे दर्शन की प्यास जगी,
कन्हैया आजा घड़ी दो घड़ी।।
Singer – Kanchi Bhargava
Writer / Upload – Ruby Garg (Ruby Ridham)
9717612115