मैंने सारे सहारे छोड़ दिए,
बस तेरा सहारा काफी है,
मुझे चाह नहीं दुनिया भर की,
बस तेरा नजारा काफी है,
मैने सारे सहारे छोड़ दिए,
बस तेरा सहारा काफी है।।
तर्ज – मोहन से दिल क्यों लगाया।
तेरी चाहत में जग छूट गया,
पर तू मुझसे क्यों रूठ गया,
मैं डूब रहा भव सागर में,
मैं डूब रहा भव सागर में,
बस आना तुम्हारा बाकी है,
मैने सारे सहारे छोड़ दिए,
बस तेरा सहारा काफी है।।
मैंने जबसे तुम्हारा नाम लिया,
इस जग ने बहुत इल्जाम दिया,
जब तूने मुझे यूँ थाम लिया,
जब तूने मुझे यूँ थाम लिया,
बस मेरा गुजारा काफी है,
मैने सारे सहारे छोड़ दिए,
बस तेरा सहारा काफी है।।
मैंने तेरे लिए ही जोग लिया,
और छोड़ जगत का भोग दिया,
रो रो के बुलाना काम मेरा,
रो रो के बुलाना काम मेरा,
बस आना तुम्हारा बाकी है,
मैने सारे सहारे छोड़ दिए,
बस तेरा सहारा काफी है।।
मैंने सारे सहारे छोड़ दिए,
बस तेरा सहारा काफी है,
मुझे चाह नहीं दुनिया भर की,
बस तेरा नजारा काफी है,
मैने सारे सहारे छोड़ दिए,
बस तेरा सहारा काफी है।।
स्वर – देवी चित्रलेखा जी।