मैया काली माँ कल्याणी,
खुडाले री राय,
सेवक शरणे आवे,
मेहर करो मममाय।।
माताजी सिंह री सवारी,
मां हाथ सोवे तलवार,
मां मुरत लागे प्यारी,
रूप सज्यो सिणगार।।
माताजी नवरात्रि में मेलों,
अष्टमी वाली रात,
मां जगमग दिवला जागें,
सारी सारी रात।।
माताजी सेवक चन्द गावे,
नगाड़ों री ताल,
मां गरबे रमती आवे,
गले मुण्ड माल।।
माताजी कांकड़ मलगट लिम्बा,
आवे नर ओर नार,
मां जात झड़ोला लागे,
मां काली रे दरबार।।
माताजी भाडला सु पैदल,
आवे खुडाला धाम,
मां जेजे कार लगावे,
गुंजे गली ओर गाम।।
माताजी जुझो टबरीयो थारों,
हिवड़े सु लिजो लगाय,
मगाराम प्रजापत,
हरख हरख गुण गाय।।
मैया काली माँ कल्याणी,
खुडाले री राय,
सेवक शरणे आवे,
मेहर करो मममाय।।
गायक – मगाराम प्रजापत सनावड़ा।
9783332681