मैया के दीवाने आ गये,
माँ से मिलने को,
जब भी मुझको,
इशारा हुआ तो,
जय-जय माँ,
दर्श मैया का पाने आ गये,
मन में है लगन,
होके हम मगन,
भजनों में माँ के,
जय-जय माँ,
हम तो माँ को रिझाने आ गये,
मईया के दीवाने आ गये।।
मन मेरा ये बाँवरा,
बस इधर-उधर भटकाए-२,
पाँच लुटेरे मिल करके,
बहुतेरे नाच नचाए-२,
करतल ध्वनि से गूंज उठेगा,
मईया का ये द्वारा,
मन मंदिर में जब गूंजेगा,
मईया का जयकारा,
जय जयकारा लगाने आ गये,
मईया के दीवाने आ गये।।
मईया तो हर प्राणी के,
हृदय में सदा रहती है-२,
दिल से पुकारो पास तेरे,
वो सदा यही कहती है-२,
जल में थल में नील गगन में,
धरती के कण-कण में,
दर्शन मिल जायेगा गर,
श्रद्धा विश्वास हो मन में,
ज्योति दिल में जगाने आ गये,
मईया के दीवाने आ गये।।
नाम है माँ का तारनहारा,
नाम के हैं दीवाने-२,
नाम के प्याले में कितना रस,
तुलसी मीरा जानें-२,
आओ हम सब मिल-जुल करके,
माँ की महिमा गायें,
‘परशुराम’ मईया से अपने,
दिल की बात बताये,
अपनी बिगड़ी बनाने आ गये,
मईया के दीवाने आ गये।।
मैया के दीवाने आ गये,
माँ से मिलने को,
जब भी मुझको,
इशारा हुआ तो,
जय-जय माँ,
दर्श मईया का पाने आ गये,
मन में है लगन,
होके हम मगन,
भजनों में माँ के,
जय-जय माँ,
हम तो माँ को रिझाने आ गये,
मईया के दीवाने आ गये।।
स्वर / रचना – परशुराम उपाध्याय।
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