मैया की दया जिसपे हो जाए,
उसकी तो फिर बात ही निराली,
सारे झंझट दूर करे मैया,
उस घर हो निशदिन ही दिवाली।।
जो भी माँ के द्वारे आया,
बाकी रहा ना कोई सवाली,
सबकी झोली भरकर भेजी,
दिखने में वो बैठी है खाली,
मईया की दया जिसपे हो जाए,
उसकी तो फिर बात ही निराली।।
एक बार कोई आकर कह दे
मै तेरो तू मेरी महतारी,
इतना ही केहना काफी होगा,
उतरा सिर का बोझा भारी,
मईया की दया जिसपे हो जाए,
उसकी तो फिर बात ही निराली।।
इतनी सी बात पर काम होता है,
हरदम करे तुम्हरी रखवाली,
आकर बैठो गोड पकड़ कर,
क्यों घुमे तु डाली डाली,
मईया की दया जिसपे हो जाए,
उसकी तो फिर बात ही निराली।।
बेटे के आँसु देख ना पाती,
चाहे हो वो दुनिया वाली,
फिर इस माँ की तो बात निराली,
केहते इसको मेहरावाली,
मईया की दया जिसपे हो जाए,
उसकी तो फिर बात ही निराली।।
कितनी खुश वो होती होगी,
बेटा आया मेरे द्वारी,
सारी चिन्ता दूर कर दूंगी,
दु:ख देखा इतने अरसारी,
मईया की दया जिसपे हो जाए,
उसकी तो फिर बात ही निराली।।
कोई तो मेरे द्वारे आया,
केहता हुआ मुझको तो माड़ी।
इसी शब्द को सुनने खातिर,
मै तुम्हारे मन्दिर ठाड़ी,
मईया की दया जिसपे हो जाए,
उसकी तो फिर बात ही निराली।।
मै तो प्यासी प्रेम की बैठी,
कोई पिलादे भर कर प्याली,
गोद बिठा ऑचल ढक लूंगी,
आने ना दूंगी उसको आली,
मईया की दया जिसपे हो जाए,
उसकी तो फिर बात ही निराली।।
मैया की दया जिसपे हो जाए,
उसकी तो फिर बात ही निराली,
सारे झंझट दूर करे मैया,
उस घर हो निशदिन ही दिवाली।
रचनाकार – श्री सुभाषचन्द्र जी त्रिवेदी।
प्रेषक – आशुतोष त्रिवेदी
7869697758