मैया स्वरदायिनी स्वर साज सजाने आजा,
आज इस लाल की मां लाज बचाने आजा,
आज इस लाल की मां लाज बचाने आजा,
आजा आजा आजा आजा।।
तर्ज – प्यार झूठा सही।
मैं हूं अज्ञानी शब्दों को सजाऊँ कैसे,
ज्ञान स्वर का नहीं फिर स्वर से गाऊँ कैसे,
इसलिए मैया तुझे आज तो आना होगा,
वाणी में बसके स्वयं तुमको मां गाना होगा,
बुद्धि हो निर्मल हो हो,
बुद्धि हो निर्मल विमल कविता रचाने आजा,
आज इस लाल की मां लाज बचाने आजा,
आज इस लाल की मां लाज बचाने आजा,
आजा आजा आजा आजा।।
जानू ना भक्ति ना ही सेवा तेरी जानू मां,
जानता हूं तुझे और तुमको ही पहचानु माँ,
मैं तो बस वंदन मैया तेरा बार-बार करूं,
चरणों में रखना सदा मैया तेरा ध्यान धरूँ,
‘कृष्णा’ है तन्हा ‘निरंजन’ को बताने आजा,
आज इस लाल की मां लाज बचाने आजा,
आज इस लाल की मां लाज बचाने आजा,
आजा आजा आजा आजा।।
मैया स्वरदायिनी स्वर साज सजाने आजा,
आज इस लाल की मां लाज बचाने आजा,
आज इस लाल की मां लाज बचाने आजा,
आजा आजा आजा आजा।।
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