मैया तेरी तस्वीर,
सिरहाने रखकर सोते है,
यही सोच हम अपने,
दोनों नैन भिगोते है,
कभी तो तस्वीर से निकलोगी,
कभी तो मेरी मईया पिघलोगी,
कभी तो तस्वीर से निकलोगी,
कभी तो मेरी मईया पिघलोगी।।
तर्ज – लाल दुपट्टा उड़ गया रे।
जाने कब आ जाओगी मैं,
आँगन रोज बुहारता,
मेरे इस छोटे से घर का,
कोना कोना सँवारता,
मेरी माँ जगदम्बे,
माँ शेरोवाली,
जिस दिन माँ नहीं आती,
हम जी भर कर रोते है,
यही सोच हम अपने,
दोनों नैन भिगोते है,
कभी तो तस्वीर से निकलोगी,
कभी तो मेरी मईया पिघलोगी,
कभी तो तस्वीर से निकलोगी,
कभी तो मेरी मईया पिघलोगी।।
अपनापन हो अँखियों में,
होठों पे मुस्कान हो,
ऐसे मिलना जैसे की माँ,
जन्मों की पहचान हो,
मेरी माँ जगदम्बे,
माँ शेरोवाली,
आपके खातिर अखियाँ,
मसल मसल कर रोते है,
यही सोच हम अपने,
दोनों नैन भिगोते है,
कभी तो तस्वीर से निकलोगी,
कभी तो मेरी मईया पिघलोगी,
कभी तो तस्वीर से निकलोगी,
कभी तो मेरी मईया पिघलोगी।।
इक दिन ऐसी नींद खुले,
जब माँ का दीदार हो,
‘बनवारी’ फिर हो जाए,
ये अखियाँ बेकार हो,
मेरी माँ जगदम्बे,
माँ शेरावाली,
बस इस दिन के खातिर,
हम तो दिन भर रोते है,
यही सोच हम अपने,
दोनों नैन भिगोते है,
कभी तो तस्वीर से निकलोगी,
कभी तो मेरी मईया पिघलोगी,
कभी तो तस्वीर से निकलोगी,
कभी तो मेरी मईया पिघलोगी।।
मैया तेरी तस्वीर,
सिरहाने रखकर सोते है,
यही सोच हम अपने,
दोनों नैन भिगोते है,
कभी तो तस्वीर से निकलोगी,
कभी तो मेरी मईया पिघलोगी,
कभी तो तस्वीर से निकलोगी,
कभी तो मेरी मईया पिघलोगी।।
Singer – Mukesh Kumar Meena