मैया थारो कानुडो,
घणो ऐ बदमाश,
माखन की फोड़े माटकी।।
ए गुजरी कानुड़ो,
सुतो छ मेहला माय,
मत देवे झूठा ओलबा,
मैया थारो कानुड़ो,
घणो ऐ बदमाश,
माखन की फोड़े माटकी।।
मैया हमारी कान्हा का,
बांधा दोनों हाथ,
पैरा में घाली सांखलाया,
मैया थारो कानुड़ो,
घणो ऐ बदमाश,
माखन की फोड़े माटकी।।
जसोदा नंदलाला ने,
दिनी रे आवाज,
आंगण में बाजा घुघरा,
मैया थारो कानुड़ो,
घणो ऐ बदमाश,
माखन की फोड़े माटकी।।
ऐ गुजरी आज बाद,
मत लीजो झूठों नाम,
मत आजो मारे बारने,
मैया थारो कानुड़ो,
घणो ऐ बदमाश,
माखन की फोड़े माटकी।।
ए कान्हा थारा भजन,
मंडली करें गुणगान,
थे पार लगा दीजिए नावड़ी,
मैया थारो कानुड़ो,
घणो ऐ बदमाश,
माखन की फोड़े माटकी।।
मैया थारो कानुडो,
घणो ऐ बदमाश,
माखन की फोड़े माटकी।।
प्रेषक – सुभाष सारस्वत काकड़ा।
9024909170