मझधार फसी नैया,
बड़ी दूर किनारा है,
एक तू ही आसरा,
हारे का सहारा है,
सांवरे एक तू ही तो आस है,
सांवरे तुझपे ही विश्वास है।।
तर्ज – तुमसे जुदा होकर।
जिनको समझा अपना,
वो काम नहीं आये,
अब तेरे बिन बाबा,
मुझे कौन बचाये,
मेरी जीवन नैया का,
तू पालनहारा है,
एक तू ही आसरा,
हारे का सहारा है,
सांवरे एक तू ही तो आस है,
सांवरे तुझपे ही विश्वास है।।
विश्वास अटल मेरी,
नैया ना डोलेगी,
गर भाव भरा ह्रदय,
मूरत भी बोलेगी,
दीनों ने पुकारा है,
तू बना सहारा है,
एक तू ही आसरा,
हारे का सहारा है,
सांवरे एक तू ही तो आस है,
सांवरे तुझपे ही विश्वास है।।
दुनियाँ में नाम तेरा,
सुनकर मैं भी आया,
हारे का साथी है,
सबने ये बतलाया,
मनीष भी हार रहा,
तो तुझे पुकारा है,
एक तू ही आसरा,
हारे का सहारा है,
सांवरे एक तू ही तो आस है,
सांवरे तुझपे ही विश्वास है।।
मझधार फसी नैया,
बड़ी दूर किनारा है,
एक तू ही आसरा,
हारे का सहारा है,
सांवरे एक तू ही तो आस है,
सांवरे तुझपे ही विश्वास है।।
गायक / प्रेषक – मनीष कुमार सूर्यवंशी।
8010748905
https://youtu.be/oT6tSFeg6Bw