माखन मांगे हाथों को बढ़ाएं,
मधुर मुस्काए,
जैसे हमको पास बुलाए,
प्यारा प्यारा लड्डू गोपाल,
छोटा सा मेरा लड्डू गोपाल।।
तर्ज – पग पग दिप जलाएं।
माथे मोर मुकुट है सजा,
अखियन में लगाया कजरा,
मोटे मोटे नैनो में जादू है भरा,
मोटे मोटे नैनो में जादू है भरा,
मोहन मन मोह के ले जाये,
मधुर मुस्काए,
जैसे हमको पास बुलाए,
प्यारा प्यारा लड्डू गोपाल,
छोटा सा मेरा लड्डू गोपाल।।
माखन मिश्री का भोग लगे,
सांझ सवेरे नीत ही सजे,
सजधज करके कान्हा कुंवर सा लगे,
सजधज करके कान्हा कुंवर सा लगे,
‘सौरभ मधुकर’ वारि वारि जाए,
मधुर मुस्काए,
जैसे हमको पास बुलाए,
प्यारा प्यारा लड्डू गोपाल,
छोटा सा मेरा लड्डू गोपाल।।
माखन मांगे हाथों को बढ़ाएं,
मधुर मुस्काए,
जैसे हमको पास बुलाए,
प्यारा प्यारा लड्डू गोपाल,
छोटा सा मेरा लड्डू गोपाल।।
स्वर – सौरभ मधुकर।