मेरे रोम रोम में समा जाओ,
बड़े बाबा मेरे,
मन को कुंडलपुर कर जाओ,
बड़े बाबा मेरे।।
मेरे जब तक प्राण रहें,
तेरा ही ध्यान रहे,
तेरे ही चरणो में,
ये मन अविराम रहे,
मैं जब भी नैन मूंदूँ,
मैं जब भी नैन खोलूं,
तेरे ही दर्शन से,
मुझको आराम रहे,
हर स्वांस में भक्ति भर जाओ,
बड़े बाबा मेरे,
मेरे रोम रोम में बस जाओ,
बड़े बाबा मेरे।।
माना मैं पापी हूँ,
मैंने लाखों पाप किये,
पर तु तो दयालु है,
तूने सारे माफ किये,
इस सारी दुनियाँ में,
तेरे ही चर्चे है,
उन्हें सुनकर आया हूँ,
मन में संताप लिए,
मेरी बिगड़ी आज बना जाओ,
बड़े बाबा मेरे,
मेरे रोम रोम में बस जाओ,
बड़े बाबा मेरे।।
मेरे रोम रोम में समा जाओ,
बड़े बाबा मेरे,
मन को कुंडलपुर कर जाओ,
बड़े बाबा मेरे।।
गायक / लेखन / संगीत – डॉ राजीव जैन।
8136086301