मन लेके आया मातारानी के भवन में,
बड़ा सुख पाया बड़ा सुख पाया,
मातारानी के भवन में,
मन लेके आया मातारानी के भवन में।।
जय जय माँ अम्बे माँ,
जय जय माँ जगदम्बे माँ।
मैं जानूँ वैष्णव माता,
तेरे ऊँचे भवन की माया,
भैरव पर क्रोध में आके,
माँ तूने त्रिशूल उठाया,
वो पर्वत जहाँ पर तूने,
शक्ति का रूप दिखाया,
भक्तो ने वही पर मैया,
तेरे नाम का भवन बनाया,
बड़ा सुख पाया,
बड़ा सुख पाया मातारानी के भवन में,
मन ले के आया मातारानी के भवन में।।
जय जय माँ अम्बे माँ,
जय जय माँ जगदम्बे माँ।
तेरे तेज ने ज्वाला मैया,
जब उजियारा फैलाया,
शाह अकबर नंगे पैरो,
तेरे दरबार में आया,
तेरी जगमग ज्योत के आगे,
श्रद्धा से शीश झुकाया,
तेरे भवन की शोभा देखि,
सोने का छत्र चढ़ाया,
बड़ा सुख पाया,
बड़ा सुख पाया मातारानी के भवन में,
मन ले के आया मातारानी के भवन में।।
जय जय माँ अम्बे माँ,
जय जय माँ जगदम्बे माँ।
हे चिंतपूर्णी माता,
तेरी महिमा सबसे न्यारी,
दिए भाईदास को दर्शन,
तू भक्तो की है प्यारी,
जो करे माँ तेरा चिंतन,
तू चिंता हर दे सारी,
तेरे भवन से झोली भरके,
जाते है सभी पुजारी,
बड़ा सुख पाया,
बड़ा सुख पाया मातारानी के भवन में,
मन ले के आया मातारानी के भवन में।।
जय जय माँ अम्बे माँ,
जय जय माँ जगदम्बे माँ।
माँ नैना देवी तूने,
ये नाम भगत से पाया,
नैना गुजर को तूने,
सपने में दरश दिखाया,
आदेश पे तेरे उसने,
तेरा मंदिर बनवाया,
जीवन भर बैठ भवन में,
माँ तेरा ही गुण गाया,
बड़ा सुख पाया,
बड़ा सुख पाया मातारानी के भवन में,
मन ले के आया मातारानी के भवन में।।
जय जय माँ अम्बे माँ,
जय जय माँ जगदम्बे माँ।
मन लेके आया मातारानी के भवन में,
बड़ा सुख पाया बड़ा सुख पाया,
मातारानी के भवन में,
मन लेके आया मातारानी के भवन में।।