मन मौजी राम,
कईयां डोले रे आंको बाकों,
माया का लोभी,
कईयां डोले रे आंको बाकों,
राम भजन में प्रीत लगा ले,
बिगड़ जाए वो खाकों,
मनमौजी राम,
कईयां डोले रे आंको बाकों।।
गुरु से ज्ञान ज्ञान से मुक्ति,
कहना मान बड़ा को,
बिना सत्संग विवेक ना होवे,
यही ध्यान में रांखो,
मनमौजी राम,
कईयां डोले रे आंको बाकों।।
यो तो माल धणयां को भाया,
किया करें छं हांको,
गई गई ने जावण दयो,
थे रही सही ने राखों,
मनमौजी राम,
कईयां डोले रे आंको बाकों।।
अपने मतलब कारणे,
कईयां ने कह तो काको,
भीड़ पडया तु कहतो डोले,
कोई नहीं छं म्हाकों,
मनमौजी राम,
कईयां डोले रे आंको बाकों।।
गुरु ही ब्रह्मा गुरु ही विष्णु,
यही ध्यान में राखों,
कहैं मोजीराम सुनो भाई साधो,
दया नैण सू झाकों,
मनमौजी राम,
कईयां डोले रे आंको बाकों।।
मन मौजी राम,
कईयां डोले रे आंको बाकों,
माया का लोभी,
कईयां डोले रे आंको बाकों,
राम भजन में प्रीत लगा ले,
बिगड़ जाए वो खाकों,
मनमौजी राम,
कईयां डोले रे आंको बाकों।।
गायक – गुरु कन्हैया लाल जी शर्मा।
प्रेषक – ओम प्रकाश गोस्वामी।
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