मन म्हारा लोभीड़ा बेईमान,
कोल कर मत वे न्यारो रे,
मत है न्यारो रे,
राम जी से मत है न्यारो रे।।
उल्टा पाव लटकता सिस,
गरब मे रक्षा करो जगदीश,
नाथ थाने रटस्यु बीसवा बीस,
गणो दुखी भगवान,
गरब से बारे खाडो रे,
मन मारा लोभीड़ा बेईमान,
कोल कर मत वे न्यारो रे।।
गरब से पड़ता ही चीरलायो,
चर्तभुज रुप नजर नहीं आयो,
माँ थारी मुखमे दुथ पिलायो,
आयो जगत के माई,
करबा लागो थारी मारी रे,
मन मारा लोभीड़ा बेईमान,
कोल कर मत वे न्यारो रे।।
बचपन खेल कुद मे खोयो,
जवानी तीरीया के सगं सोयो,
बुढापो देख अबे का रोयो,
घर की तिरिया ने,
लागबा लागो खारो रे,
मन मारा लोभीड़ा बेईमान,
कोल कर मत वे न्यारो रे।।
नर थारी उमर होगी साठ,
अब थारी पोल मे डाली खाट,
पोता कुटण लागा टाठं,
गणो दुखी भगवान अब थारो,
भरले भकारो रे,
मन मारा लोभीड़ा बेईमान,
कोल कर मत वे न्यारो रे।।
खाठं मे पड़ीयो पड़ीयो खुरलावे,
कपड़ा भिसठा मे भर जावे,
घर का पाणी तक नहीं पावे,
गणो दुखी भगवान अब थारो,
देदे सहारो रे,
मन मारा लोभीड़ा बेईमान,
कोल कर मत वे न्यारो रे।।
आग्या यम राजा का दुत,
जीवने बान्द लीयो मजबूत,
अब थारे पड़ा लागा जुत,
गासी राम जन्म मरण से मने,
बारे खाडो रे,
मन मारा लोभीड़ा बेईमान,
कोल कर मत वे न्यारो रे।।
मन म्हारा लोभीड़ा बेईमान,
कोल कर मत वे न्यारो रे,
मत है न्यारो रे,
राम जी से मत है न्यारो रे।।
गायक – सवाई सिंह जी।
प्रेषक – सिंगर मगनी राम गाडरी।
महुआ खुर्द भीलवाड़ा।
मो. 9680818193