मन रे गुरु वचनो में रहणो,
काम क्रोध री चोट ना लागे,
सत रे मार्ग वहणो,
मन रे गुरु वचनों में रहणो।।
भेद भरम ने छोड़ो आपणी,
संता आगे नमणो,
सत शब्दों री करो धारणा,
अज्ञान अंधारो हरणो,
मन रे गुरु वचनों में रहणो।।
गुरु जी रा वचन सत्य कर मानों,
हिरदै निशश्य करणो,
मैं तू का भेद मिटाओ,
सब घट आतम जाणो,
मन रे गुरु वचनों में रहणो।।
सोना रा जेवर न्यारा न्यारा,
है सब माही सोनो,
सत सोना री पारख करलो,
मिट जाए आणो जाणो,
मन रे गुरु वचनों में रहणो।।
गणपत राम गुरु कृपा किनी,
द्वेत नजर नहीं आणो,
पिरा राम की मेटी भ्रमना,
आनन्द माही समाणो,
मन रे गुरु वचनों में रहणो।।
मन रे गुरु वचनो में रहणो,
काम क्रोध री चोट ना लागे,
सत रे मार्ग वहणो,
मन रे गुरु वचनों में रहणो।।
गायक / प्रेषक – पोपटसिंह सिसोदिया।
9828422095