मन रे राम भजन कर गेला रे,
थने सतगुरु देवे हेला रे।।
दिवस गमायो कमायो खायो,
ज्यू घाणी का बैला रे,
मन रें राम भजन कर गेला रे।।
रेन बसेरा निंद्रा में सोया,
उठत वो ही गेला रे,
मन रें राम भजन कर गेला रे।।
माया जाल रचायो भारी,
नारी नरक का थेला रे,
मन रें राम भजन कर गेला रे।।
हाड़ मांस मल मूत्र भीतर,
ऊपर चमड़ा फैला रे,
मन रें राम भजन कर गेला रे।।
चमड़ा चमक दमक में मनुवा,
भूला फूला छैला रे,
मन रें राम भजन कर गेला रे।।
नारी अग्नि वासना भड़की,
घीआग ज्यू मेला रे,
मन रें राम भजन कर गेला रे।।
मात पिता सन्तअच्छानहींलागे,
नारी का हो गया चेला रे,
मन रें राम भजन कर गेला रे।।
विजयानंद समझे सन्त शूरा,
विरला त्याग करेला रे,
मन रें राम भजन कर गेला रे।।
मन रे राम भजन कर गेला रे,
थने सतगुरु देवे हेला रे।।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार, आकाशवाणी सिंगर।
9785126052