मन तू अब तो समझ म्हारा भाई,
बार बार समझाऊँ मारा मनवा,
छोड़ दे पापा पाई।।
इच्छा पाप ने परो त्याग दे,
मनसा पाप लग जाई,
भ्रम को धागों कर्म पे लागो,
धोया मिटेलो नाई।।
मुख मुरडाई परी छोड़ दे,
छोड़ दे ठकुराई,
आया संन्त कि सेवा साध ले,
धाम ले लुलताई।।
पर नारी को हेत छोड़ दे,
काई चमड़ा माई,
या संसार थारी निंदिया करेलो,
मरिया नरक ले जाई।।
पदम् गुरु परवानी मिलिया,
लाडू बा जी सेन बताई,
गुर्जर गरीबी में कनी राम जी बोले,
गांव गोरख्या माई।।
मन तू अब तो समझ म्हारा भाई,
बार बार समझाऊँ मारा मनवा,
छोड़ दे पापा पाई।।
गायक – चम्पा लाल प्रजापति।
मालासेरी डूँगरी 89479-15979