तर्ज – और इस दिल में क्या रखा है,
मनड़ा रे जे तू बालाजी ने ध्याय सी,
कष्ट तेरा सगळा कट जायसी,
सच्चे मन से तू देख बुलाय सी,
बजरंग बेड़ो पार लगाय सी,
बाबो बेड़ो पार लगाय सी,
मनड़ा रे जेतू बालाजी ने ध्याय सी।।
सालासर रो बाबो सदा सुख बरसावे,
सँवर जावे बिगड़ी शरण जो आ जावे,
दुलारो अंजनी को भगता को रखवाळो,
खुल्यो है भंडारो जो चावे सो पावे,
झूठी मोह माया ने तज के ले बजरंग को नाम,
ले बजरंग को नाम,
याद करे जो बजरंगी ने,
कट जावे रे लख चौरासी,
मनड़ा रे जेतू बालाजी ने ध्याय सी।।
लगी शक्ति रण में काल हो बलकारी,
लखन मूर्च्छा घेरयो बड़ी विपदा भारी,
प्रभु श्री राम जी के देख आंख्या में पाणी,
उठ्या महावीर झट से भरी रे किलकारी,
संजीवन लेकर ही आयो होण नही दी भोर,
होण नही दी भोर,
भोर भई श्री राम जी बोल्या,
संकट मोचन नाम कहासी,
मनड़ा रे जेतू बालाजी ने ध्याय सी।।
ऐ लक्खा ठाट तेरी यो धरी रह जाणी है,
ढेरी धन दौलत की काम नई आणि है,
भजन कर राम नाम को जो तारण हारी है,
सरल कव लोक कहावे पर बाबा श्याणी है,
करले काम रे भजले राम जब तक आवे सांस,
जब तक आवे सांस,
सांस और वक्त गया नही आवे,
चेत रे चेत घणो पछतासि,
मनड़ा रे जे तू बालाजी ने ध्याय सी।।
मनड़ा रे जे तू बालाजी ने ध्याय सी,
कष्ट तेरा सगळा कट जाये सी,
सच्चे मन से तू देख बुलाय सी,
बजरंग बेड़ो पार लगाय सी,
बाबो बेड़ो पार लगाय सी,
मनड़ा रे जे तू बालाजी ने ध्याय सी।।
Me kya jaanu ram tera gorkha dhnda