मनडो लागो मेरो राम फकीरी में,
दोहा – साधु जन हद सेे तपे,
नी बेहद तपे वो पीर,
हद बेहद दोनों तपे तो,
उसका नाम फकीर।
फिकर सबको खा गई,
ने फिकर है सबकी पीड,
अरे फिकर की फांकी करे,
तो उसका नाम फकीर।
सुख की करेना चाहना,
दुख मे रखे मन धीर,
फना करे सब फंद को,
तो उसका नाम फकीर।
कबीर कहे कमाल को,
तू दो बाता सीख ले,
कर सायब की वंदगी,
ओर भूखे को अन्न देत।
मनडो लागो मेरो राम फकीरी में,
मनडो लागों मेरो राम फकीरी में,
जो सुख पायो राम भजन मे,
जो सुख पायो राम भजन मे,
वो सुख नाहीं अमीरी मे,
वो सुख नाहीं अमीरी मे,
मनडो लागों मेरो राम फकीरी में।।
भला बूरा सबकी सुन लिजे,
भला बूरा सबकी सुन लिजे,
कर गुजरान गरीबी मे,
कर गुज़रान गरीबी मे,
मनडो लागों मेरो राम फकीरी में।।
आखिर ये तन खाक मिलेगा,
आखिर ये तन खाक मिलेगा,
क्यु फिरता मगुरूरी मे,
क्यु फिरता मगुरूरी मे,
मनडो लागों मेरो राम फकीरी में।।
कहत कबीर सुनो भई साधु,
कहत कबीर सुनो भई साधु,
सायब मिले सबुरी मे,
सायब मिले सबुरी मे,
मनडो लागों मेरो राम फकीरी में।।
मनडो लागों मेरो राम फकीरी में,
मनडो लागों मेरो राम फकीरी में,
जो सुख पायो राम भजन मे,
जो सुख पायो राम भजन मे,
वो सुख नाहीं अमीरी मे,
वो सुख नाहीं अमीरी मे,
मनडो लागों मेरो राम फकीरी में।।
गायक – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818