मानव इतना तो कर आके,
दोहा – इतिहास बने इस जीवन का,
जन जीवन में कुछ तो कर रे,
जन याद करे पढ़ते सुनते,
लिखदे कछु बात यहां पर रे।
जन सूर सति सब सन्तन को,
जन पूज रहे घर ही घर रे,
जन भारती पूरण नाम कहा,
बिन काम गए कितने मर रे।
मानव इतना तो कर आके,
कर्म धरा नर तन में प्यारे,
ले जा खरी कमा के,
मानव ईतना तो कर आके।।
जू अजया को सिंह पछाड़े,
काल सदा यू ताके,
बड़े बड़े भूपाल सूरमा,
गए मात सब खाके,
मानव ईतना तो कर आके।।
सुन सत्संग शरण में प्यारे,
महापुरुषों की जाके,
क्या है कर्म धर्म नीति को,
समझो ध्यान लगा के,
मानव ईतना तो कर आके।।
मानव होय मानवता धारो,
भक्ति ज्ञान गुण गाके,
करने की दुनिया जस गावे,
मत जा नाम लजाके,
मानव ईतना तो कर आके।।
चेतन भारती सतगुरु मोहे,
मनक कियो समझाके,
भारती पूरण जन्म सफल कर,
सतगुरु सत्संग पाके,
मानव ईतना तो कर आके।।
मानव इतना तो कर आ के,
कर्म धरा नर तन में प्यारे,
ले जा खरी कमा के,
मानव ईतना तो कर आके।।
गायक – पुरण भारती जी महाराज।
Upload By – Aditya Jatav
8824030646