म्हारो छैल तो छौगालो मारो श्याम,
मण्डफिया में विराज रियो,
माने प्यारो लागे चारभुजा रो नाथ,
मंडफिया में विराज रियो।।
मोर मुकुट पीतांबर सोवे,
कुंडल की छवि न्यारी,
पीलो पीतांबर बादामि,
या बागा री हद भारी,
तुर्रा झिलमिल झिलमिल,
चमके मारो श्याम,
मंडफिया में विराज रियो।।
कड़ा नेवरी कमर कंदोरो,
पग पायल झांझरिया रे,
ढाल धड़कती हीय कड़कती,
सोवत है सांवरिया रे,
छड़ी चवर सर पर,
छतर बिराजे श्याम,
मंडफिया में विराज रियो।।
सेज पालकी राम रेवाड़ी,
चांदी को वो यो रथडो रे,
ग्यारस जुले सेठ सांवरो,
दुनिया दर्शन आवे रे,
थाली मांदल बाजे,
थारोड़े दरबार,
मंडफिया में विराज रियो।।
सेठ सांवरा कलयुग माही,
देदो थोड़ो जेलो रे,
केवे भैरव सुन सांवरिया,
सुन जो मारो हेलो रे,
भोला भक्तों को तू,
राम रूकालो श्याम,
मंडफिया में विराज रियो।।
म्हारो छैल तो छौगालो मारो श्याम,
मण्डफिया में विराज रियो,
माने प्यारो लागे चारभुजा रो नाथ,
मंडफिया में विराज रियो।।
लेखक – भैरव शंकर जी महाराज।
गायक – दिनेश अमरवासी।
9829167293