मंदिर खोलो बाबा,
दोहा – बाटड़ल्या थारी जोवती,
म्हारी आंखड़ल्या दिन रात,
भक्ता उडिक साँवरा,
तो कोई करल्या मनड़ा री बात।
मंदिर खोलो बाबा,
मंदिर खोलों बाबा,
थारो म्हे दिदार करस्या,
मंदिर खोलों बाबा,
थारे मंदिरये में बाता,
थास्यु चार करस्या,
मंदिर खोलों बाबा।।
तर्ज – पिया आवो तो मनड़ा।
बाबा थारी ओळ्यु घणी आवे,
पागल मन न कुण समझावे,
दरश करया बिन निंद न आवे,
आंखड़ल्या म्हारी भर भर आवे,
खाटूधाम में खाटूधाम में बुलाले,
थाकी सेवा करस्या,
थारे मंदिरये में बाता,
थास्यु चार करस्या,
मंदिर खोलों बाबा।।
इण संकट स्यू सब न बचाओ,
भक्ता रा थे कष्ट मिटाओ,
‘रजनी’ थारी प्रेम पुजारन,
सेवा म थारी हर पल हाजिर,
बाबा चाकरी बाबा चाकरी लगाले,
थारी दासी बंणस्या,
थारे मंदिरये में बाता,
थास्यु चार करस्या,
मंदिर खोलों बाबा।।
मंदिर खोलों बाबा,
थारो म्हे दिदार करस्या,
मंदिर खोलों बाबा,
थारे मंदिरये में बाता,
थास्यु चार करस्या,
मंदिर खोलों बाबा।।
गायक / प्रेषक – संतोष शर्मा गौहाटी।
9435148234
लेखिका – रजनी गुप्ता कोलकत्ता।
विशेष सहयोग – नवरत्न पारीक।
https://youtu.be/2NI63RR8n-4