मंगल को जन्मे,
मंगल ही करते,
मंगलमय भगवान,
जय हनुमान, जय हनुमान,
जय हनुमान, जय जय हनुमान।।
श्लोक – मनोजवं मारुततुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम,
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं,
श्रीरामदूतं शरणं प्रपध्ये।
मंगल को जन्में,
मंगल ही करते,
मंगलमय भगवान,
जय हनुमान, जय हनुमान,
जय हनुमान, जय जय हनुमान।।
कोई तुम्हारे अतुलित बल का,
कर ना सका अनुमान,
नहीं तुमसा कोई चतुर कपीश्वर,
नहीं तुमसा बलवान,
जय हनुमान, जय हनुमान,
जय हनुमान, जय जय हनुमान।
मंगल को जन्में,
मंगल ही करते,
मंगलमय भगवान,
जय हनुमान, जय हनुमान,
जय हनुमान, जय जय हनुमान।।
लाल देह लाली लसे,
अरू धरि लाल लँगूर,
बज्र देह दानव दलन,
जय जय जय कपि सूर।।
मस्तक मणि से दिनमणि लाजे,
अतिशय कुण्डल कानन राजे,
लाल लाल बाना तन साजे,
पूर्ण समर्पित रघुवर काजे,
संकट मोचन देव तुम्हारे,
राजीव लोचन प्राण,
जय हनुमान, जय हनुमान,
जय हनुमान, जय जय हनुमान।।
मंगल को जन्मे,
मंगल ही करते,
मंगलमय भगवान,
जय हनुमान, जय हनुमान,
जय हनुमान, जय जय हनुमान।।
स्वर – मोहम्मत अजीज।
मनोजवम मारुति तुल्यियवेगम जितेंद्रियम,,,,,