मारा सतगरू किरपा कीनी रे,
मने जड़ी रे भजन वाली दिनी,
सुतोड़ी सुरता जागी रेऐ,
वा जाग भजन मे लागी,
धनगरू जी कीरपा कीनी रेऐए,
माने जड़ी रे भजन वाली दिनी।।
मु तो भुल रे भरम मे फीरतो रेऐए,
गरू कीनो रे भजन सु ई भिड़तो,
मारा भाग रे पुर्बला जागा रेऐए,
चित रे शब्दो माय लागा हाआ,
मारा सतगरू कीरपा कीनी रे,
मने जड़ी रे भजन वाली दिनी।।
मि तो गरूजी री सेवना कीनी रे,
मने सिमरण कुची दिनी,
मारे खुल्या भरम रा ताला रेऐ,
हिरदा मे हुआ ऊजीयाला,
मारा सतगरू कीरपा कीनी रे,
मने जड़ी रे भजन वाली दिनी।।
मि तो शरणो गरू सा रो लीनो,
ऐऐ प्रेम रे प्यालो पिनो,
मारो राम रे भजन मे राजी रेऐ,
हरी रे राखेला तारी,
मारा सतगरू कीरपा कीनी रे,
मने जड़ी रे भजन वाली दिनी।।
ऐ जगमग जल रही ज्योती रेऐए,
हाआ निरख लीया रे निज मोती,
ऐऐ आदु राम रा हेला रेऐए,
भर रीयो भजन रा थेला,
मारा सतगरू कीरपा कीनी रे,
मने जड़ी रे भजन वाली दिनी।।
मारा सतगरू किरपा कीनी रे,
मने जड़ी रे भजन वाली दिनी,
सुतोड़ी सुरता जागी रेऐ,
वा जाग भजन मे लागी,
धनगरू जी कीरपा कीनी रेऐए,
माने जड़ी रे भजन वाली दिनी।।
गायक – जेतपुरीजी महाराज नोहरा,
प्रेषक – देव पुरोहित नाथोणी जेरण।