मारा सिर पर है,
भेरू जी रो हाथ,
कोई तो म्हारो कई करसी।।
जो आपे बिस्वास करे वो,
खूंटी ताण के सोवे,
बठे प्रवेश करे ना कोई,
बाल ना बांको होवे,
जाके मन में नहीं है विस्वास,
बाको तो भेरू कई करसी,
म्हारे सिर पर हैं,
भेरू जी रो हाथ,
कोई तो म्हारो कई करसी।।
जे कोई म्हारे भेरुजी ने,
साँचे मन से ध्यावे
काल कपाल भी भेरुजी के,
भगता से घबरावे,
जे कोई पकड़्यो है,
बाबा जी रो हाँथ
कोई तो बाको कई करसी,
म्हारे सिर पर हैं,
भेरू जी रो हाथ,
कोई तो म्हारो कई करसी।।
कलयुग को यो देव बड़ो,
दुनिया में नाम कमायो,
जद जद भीड़ पड़ी भगता पर,
दौड्यो दौड्यो आयो,
यो तो घट घट की,
जाणे सारी बात,
कोई तो म्हारो कई करसी,
म्हारे सिर पर हैं,
भेरू जी रो हाथ,
कोई तो म्हारो कई करसी।।
मारा सिर पर है,
भेरू जी रो हाथ,
कोई तो म्हारो कई करसी।।
गायक – नरेश प्रजापत।
प्रेषक – शंभू कुमावत दौलतपुरा।
9981101560
Jay shree Krishna