मारवाड़ मरूधर री धरती,
सोने जेडी़ खोंण अठे,
इण मिट्टी में हीरा निपजे,
स्वर्गों रो सिणगार अठे।।
इण धरती पर वीर हुआ है,
देवी देवता महान अठे,
गोगा तेजाजी पाबुजी ने,
रामदेव जी पीर अठे।।
साधु संत ज्योरी करें सेवना,
झालर रो झणकार अठे,
मीठा मीठा भजन सुणावे,
देवों रा दरशण अठे।।
ग्वाला ऊभा धेनु चरावें,
करसां करें किलौर अठे,
माता म्हारी करें बिलौणा,
दही दुध रा थाट अठे।।
हलिया लेनें हाल्या रे करसां,
भाते री भतवार अठे,
छाछ राबड़ी रो करो कलेवो,
बाजरे रो रोठ अठे।।
कैर सोंगरी और पीलुड़ा,
ढेलुड़ो रो स्वाद अठे,
टाबर टोली मिलने बैठा,
खेलण रा है खेल अठे।।
इण मिट्टी में धोन निपजे,
मोट बाजरा ग्वार अठे,
काचर बोर मतीरा मीठा,
ग्वारफली रो साग अठे।।
इण धरती रो उण्डों पोणी,
मिठी बोली रा मिनख अठे,
मोन मनवार है घणेरी,
आवो पधारो म्होरे अठे।।
मिठी मिठी बीण बजाऊं,
वैरागण री राग अठे,
रणजीत लौहार गाय सुणावे,
मारवाड़ रा मोती अठे।।
मारवाड़ मरूधर री धरती,
सोने जेडी़ खोंण अठे,
इण मिट्टी में हीरा निपजे,
स्वर्गों रो सिणगार अठे।।
गायक / लेखक – रणजीत लौहार।
9057996118
प्रेषक – रायचन्द जी लौहार।