मत भूलो नाम हरि का,
माया से हेत लगाय के,
मत भूलो नाम हरी का।।
एक दिन नर तेरा जन्म हुआ था,
घर दरवाजे ढोल घुरा था,
इस दुनियां में आय के,
सुख भोग्या सेज परी का।।
गुरु चेला दोय सायक जोड़ी,
बिछड़त देखी उनकी जोड़ी,
काल बली ने गर्दन तोड़ी,
इस दुनिया में आय के,
बस चला न मर्द बली का।।
जोग जुगत म्हे करता देख्या,
श्वास कपाली में धरता देख्या,
अंत समय में मरता देख्या,
हे तजिया प्राण मुख फाड़ के,
जैसे पड़िया स्वान नगरी का।।
चार पोर घर धंधा करले,
तीन पोर सू नींद ने काढ़ ले,
एक पोर थू राम सिमरले,
भव सागर से पार उतरले,
कहे कबीर गुण गाय के,
बण जावो मौज भली का।।
मत भूलो नाम हरि का,
माया से हेत लगाय के,
मत भूलो नाम हरी का।।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052