मत पूछो हाल हमारा,
म्हारे लागा शब्द रा तीर,
म्हारे लागा शब्द का तीर जी,
म्हारे लागा शब्द का तीर।।
सत री संगत में नितरी जाती,
सुणती ज्ञान गंभीर,
आन अचानक लगी चोट मेरे,
दिया कलेजा चीर,
मत पूछों हाल हमारा,
म्हारे लागा शब्द रा तीर।।
सुध बुध सारी भूल गई रे,
व्याकुल भयो शरीर,
रोम रोम कुरलावण लाग्यो,
नैणा बरसे नीर,
मत पूछों हाल हमारा,
म्हारे लागा शब्द रा तीर।।
वैध बिचारा हार गया रे,
समझ पड़ी न पीर,
साँचा वैद्य कोई मिल्या नही म्हाने,
मनवो धरे न धीर,
मत पूछों हाल हमारा,
म्हारे लागा शब्द रा तीर।।
गुरु रविदास मिल्या म्हाने पूरा,
साँची बंधाई धीर,
मीरां को अब कछुहन बाकी,
मिल्यो नीर में नीर,
मत पूछों हाल हमारा,
म्हारे लागा शब्द रा तीर।।
मत पूछो हाल हमारा,
म्हारे लागा शब्द रा तीर,
म्हारे लागा शब्द का तीर जी,
म्हारे लागा शब्द का तीर।।
स्वर – श्री मनोहरदास जी शास्त्री।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052