माता ने रंग दुधा पुता ने रंग,
बाला जति ने थारी छाति ने रंग।।
कुद सभा में बालो बीडो उठायो,
सागर में सेतु बाध फोजा कुदायो,
सिताजी का झगड़ा में झुझ गयो जंग,
बाला जति ने थारी छाति ने रंग।।
सिया सुधि लेय ने लंका जलाई,
संदेश स्वामी को आके बताई,
सौ योजन लांघे सिंधु फलंग,
बाला जति ने थारी छाति ने रंग।।
मेघनाथ लक्ष्मण के मारयो है बाण,
रात फाड़ लायो बूटी बक्स दी जान,
बाला जति ने थारी छाति ने रंग।।
रण बंका लंका पे बजा दिया डंका,
राघव सिया को जिताई रे लंका,
सोप दिया सिया जी को राम जी के संग,
बाला जति ने थारी छाति ने रंग।।
सरेनाम सुरा में अंजनी के लाला,
राम लखन लेने पहुंचे पाताला,
अहिरावण ने जान मारयो कियो अंग भंग,
बाला जति ने थारी छाति ने रंग।।
भक्त राज भगता में अंजनी के लाला,
भक्त राज भगता में राम रसियाला,
भैरव के राम नाम बसें अंग अंग,
बाला जति ने थारी छाति ने रंग।।
माता ने रंग दुधा पुता ने रंग,
बाला जति ने थारी छाति ने रंग।।
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Ram ram
माता ने रंग दुधा पुता ने रंग