मथुरा में जाकर मनमोहन,
तुम मुरली बजाना भूल गये,
मुरली का बजाना भूल गये,
गायों का चरना भूल गये।।
तर्ज – दिल लूटने वाले जादूगर
क्या याद नही मोहन तुमको,
गोकुल में माटी का खाना,
सखियो के घर में जाकर के,
ग्वालो संग माखन चुराना,
माखन है आज भी मटकी में
तुम गोकुल आना भूल गये।
मथुरा में जाकर मन-मोहन,
तुम मुरली बजाना भूल गये।।
क्या याद नही मोहन तुमको,
मैय्या का लाड़ लड़ाना वो,
नित प्रातः सवेरे उठकर के,
माखन मिशरी का खिलाना वो,
मैय्या आस लगाए बैठी है,
तुम भोग लगाना भूल गये।
मथुरा में जाकर मनमोहन,
तुम मुरली बजाना भूल गये।।
क्या याद नहीं मोहन तुमको,
पनघट पर सखियों का आना,
बस एक ही झलक दिखा करके,
वो कदम्ब के पीछे छीप जाना,
सखियाँ तो आज भी आती है,
तुम पनघट आना भूल गए।
मथुरा में जाकर मन-मोहन,
तुम मुरली बजाना भूल गये।।
क्या याद नहीं मोहन तुमको,
राधा संग रास रचाना वो,
मधुबन में भानु दुलारी को,
बंसी की तान सुनाना वो,
वो तो नैन बिछाये बैठी है,
तुम मधुबन आना भूल गए।
मथुरा में जाकर मनमोहन,
तुम मुरली बजाना भूल गये।।
मथुरा में जाकर मन-मोहन,
तुम मुरली बजाना भूल गये,
मुरली का बजाना भूल गये,
गायों का चरना भूल गये।।