कृष्णा रे कृष्णा,
मथुरा न जइयो,
गोकुल न जइयो,
मेरे मन मै रहियो,
ओ कृष्णा रे कृष्णा,
माखन चुरइयो न,
गइया न चरइयो,
मेरे मन मे रहियो,
मेरे मन मे रहियो,
मथुरा न जईयो,
गोकुल न जइयो,
मेरे मन मे रहियो।।
तर्ज – पूरब न जइयो।
मुरली की वही तान सुनादो,
गीता का उपदेश सुना दो,
अर्जुन का रथ,
हाकन न जइयो,
मथुरा न जईयो,
गोकुल न जइयो।।
आठो प्रहर तेरा,
नाम जपूँ मै,
शामो शहर तेरा,
ध्यान करूँ मै,
ऐसी लगन मेरे,
मन मे लगइयो,
मथुरा न जईयो,
गोकुल न जइयो।।
मीरा सा प्रभू प्रेम जगादो,
चरणो मे मेरे,
मन को लगादो,
अवगुण मेरे,
चित मे न लइयो,
मथुरा न जईयो,
गोकुल न जइयो।।
कृष्णा रे कृष्णा,
मथुरा न जइयो,
गोकुल न जइयो,
मेरे मन मै रहियो,
ओ कृष्णा रे कृष्णा,
माखन चुरइयो न,
गइया न चरइयो,
मेरे मन मे रहियो,
मेरे मन मे रहियो,
मथुरा न जईयो,
गोकुल न जइयो,
मेरे मन मे रहियो।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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